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सियासत के इस रण में, कौन किसके संग, कौन किसके खिलाफ – झारखंड में कैसा होगा चुनावी इम्तिहान?

सीटों के संघर्ष में फंसे गठबंधन, किन सीटों पर है सबसे अधिक टक्कर

झारखंड में चुनाव का माहौल गरमा गया है, और 13 व 20 नवंबर को होने वाले मतदान के लिए प्रचार चरम पर है। नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद, भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए और झामुमो के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन के बीच प्रतिस्पर्धा और भी दिलचस्प हो गई है। इस बार की लड़ाई न केवल विपक्षी दलों के बीच है बल्कि गठबंधन के घटक दलों के बीच भी कई सीटों पर कड़े मुकाबले का सामना हो रहा है।

सीटों का वितरण: एनडीए और इंडिया ब्लॉक में अंतर्विरोध

एनडीए गठबंधन ने भाजपा को 68, आजसू को 10, जदयू को 2, और एलजेपी (रामविलास पासवान) को 1 सीट दी है। दूसरी ओर, इंडिया गठबंधन में झामुमो को 43, कांग्रेस को 30, और राजद को 6 सीटें मिली हैं। हालाँकि, तीन सीटों—बगोदर, सिंदरी, और निरसा—पर भाकपा माले को समर्थन देने की सहमति बनी, लेकिन धनवार में मामला उलझा, जहाँ माले ने अपने प्रत्याशी को हटाने से इंकार कर दिया।

तीन प्रमुख सीटें जहाँ साथी बने प्रतिद्वंद्वी

  1. विश्रामपुर: यहाँ कांग्रेस और राजद के उम्मीदवार आमने-सामने हैं। कांग्रेस के सुधीर चंद्रवंशी और राजद के नरेश प्रसाद सिंह दोनों ने नामांकन किया है, और यहाँ कोई भी दल अपने प्रत्याशी को वापस लेने के लिए तैयार नहीं है। अब यह सीट इंडिया गठबंधन के भीतर एक विशेष रुचि की सीट बन गई है।
  2. छतरपुर: छतरपुर सीट पर भी कांग्रेस और राजद के उम्मीदवार एक-दूसरे के खिलाफ हैं। यहाँ कांग्रेस के राधाकृष्ण किशोर और राजद के विजय कुमार चुनावी मैदान में हैं। इससे गठबंधन की रणनीति को चुनौती मिल रही है, क्योंकि यह स्थिति मतदाताओं के बीच भ्रम पैदा कर सकती है।
  3. धनवार: भाकपा माले ने इस सीट पर अपने प्रत्याशी को वापस लेने से मना कर दिया है, जहाँ निजामुद्दीन अंसारी (झामुमो समर्थित) और माले के राजकुमार यादव आमने-सामने हैं। गठबंधन का यह आंतरिक संघर्ष सीट को खासा महत्वपूर्ण बना देता है।

नया वोटर बेस और युवा मतदाता: निर्णायक कारक

झारखंड में इस बार करीब 30 लाख नए मतदाता जुड़ चुके हैं, जिनमें से लगभग 11 लाख युवा मतदाता हैं। 18-23 वर्ष के वोटरों की बड़ी संख्या इस बार चुनाव परिणामों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती है। पिछली बार, महागठबंधन (अब इंडिया) को भाजपा से मात्र 2% अधिक वोट मिले थे, लेकिन इस मामूली अंतर के बावजूद झामुमो और कांग्रेस की सीटों में बड़ा उछाल आया था। इस बार, इन युवा और नए मतदाताओं का रुझान किसी भी दल की जीत-हार तय कर सकता है।

प्रत्याशियों का क्रिमिनल रिकॉर्ड: क्या कहती है शपथ पत्र की जानकारी

इस बार पहले चरण के 43 सीटों पर एनडीए और इंडिया गठबंधन के प्रत्याशियों में से 48 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें 24 प्रत्याशी एनडीए के हैं, जबकि 24 प्रत्याशी इंडिया गठबंधन के हैं। ये मामलों में गंभीर आरोप शामिल हैं जैसे हत्या का प्रयास, अवैध खनन, और धोखाधड़ी, जिनमें से अधिकतर कोर्ट में लंबित हैं। इस प्रकार के मामलों से जुड़े उम्मीदवारों की संख्या झारखंड चुनाव में एक प्रमुख विषय बनकर उभर रही है, जिससे मतदाता निर्णय लेते समय इन तथ्यों पर ध्यान दे सकते हैं।

निष्कर्ष: क्या कहता है विश्लेषण?

झारखंड चुनाव 2024 की लड़ाई न केवल विपक्षी दलों के बीच है, बल्कि गठबंधन के भीतर सीटों के बंटवारे पर मतभेदों के कारण कई सीटें हॉट सीट बन गई हैं। विश्रामपुर, छतरपुर, और धनवार जैसी सीटों पर घटक दलों के उम्मीदवारों का आमने-सामने होना यह संकेत देता है कि इस बार मतदाताओं के सामने एक जटिल चुनावी परिदृश्य है।

जिन सीटों पर गठबंधन के दो उम्मीदवार एक ही मतदाता वर्ग के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वहाँ यह मतदाताओं के ऊपर निर्भर है कि वे अपने समर्थन को कैसे तय करेंगे। मतदाताओं के पास अब एक अनोखा अवसर है कि वे उम्मीदवारों द्वारा प्रस्तुत किए गए शपथ पत्रों में उल्लिखित उनके आपराधिक रिकॉर्ड, शैक्षणिक पृष्ठभूमि, और संपत्ति विवरण के आधार पर समझदारी से निर्णय लें।

इस बार मतदाता उन सीटों पर खासकर ध्यान दे सकते हैं, जहाँ गठबंधन के दलों के उम्मीदवार आमने-सामने हैं और दोनों का फोकस समान मतदाताओं पर है। मतदाताओं को उम्मीदवारों के पिछले रिकॉर्ड, वर्तमान एजेंडा, और उनकी साख के आधार पर अपना निर्णय लेना चाहिए। ऐसे में हर एक वोट अहम हो जाता है, खासकर उन सीटों पर जहाँ गठबंधन का एकता विहीन संघर्ष सामने आ रहा है।

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